मजबूरी का नाम महात्मा गांधी क्यों कहा जाता है?

 मोहनदास करमचंद गांधी या महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। यह वर्ष गांधी की 152वीं जयंती मनाएगा।  यह भारत के सभी राज्यों में मनाया जाता है और राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक भी है।


महात्मा गांधी जी को भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। देश को स्वतंत्रता दिलवाने में महात्मा गांधी की विशेष भूमिका रही है। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था और इनकी माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी ने स्वतंत्रता के लिए हमेशा सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और कई आंदोलन किए। 30 जनवरी को गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसलिए हर वर्ष भारत में 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।

गांधी जी की मातृ-भाषा गुजराती थी।गांधी जी ने अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट से पढ़ाई की थी। गांधी जी का जन्मदिन 2 अक्टूबर अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।

.वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।गांधी जी के पिता धार्मिक रूप से हिंदू तथा जाति से मोध बनिया थे।


गांधी जी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।गांधी जी और प्रसिध्द लेखक लियो टोलस्टोय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान , जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी। 1930 में, उन्होंने दांडी साल्ट मार्च का नेतृत्व किया और 1942 में, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत छोड़ो आंदोलन चलाया। गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे, उनका कहना था कि अगर आपको कोई एक थप्पड़ मरे तो दूसरा गाल उसके आगे कर देना चाहिए । गांधी जी की इस बात का अंग्रेजो ने फायदा उठाया, इसीलिए कहते है " मजबूरी का नाम महात्मा गांधी" ।



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